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सौ यर्लहर


                               ॥ अथ  ानम् ॥




            लौ ह  न जर्तजपाकसुमानुरागाम्
                                  ु
            पाशा शौ धनुिरषून प धारय ीम् ।
                   ु
            ताम्रेक्षणामरुणमा  वशेषभूषाम्

            ता ूलपूिरतमुखीं  त्रपुरां नमा म ॥




                           ॥ अथ प ोपचाराः ॥



            ल पृ थ ा  कायै ग ं क या म ।
              ं
            हं आकाशा  कायै पु ं क या म ।

            यं वा ा  कायै धूपं क या म ।


            र व ा  कायै दीपं क या म ।
             ं
            वं जला  कायै नैवे ं क या म ।

            सं सव   कायै सव पचारान् क या म ॥















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