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पूवर्पी ठका
४. चतुथर्ः लुङ्-लकारः (लुङ्. आ. ४)
एकवचनम् वचनम् बहुवचनम्
प्रथमपुरुषः इ इषाताम् इषत
म मपुरुषः इ ाः इषाथाम् इ म्
उ मपुरुषः इ ष इ ह इ ह
क ् (अक ) (p.141), खन् (आ) (अख न ) (p.148),
ग्रह् (आ) (अग्रह ) (p.149), जन् (अज न , अज न) (p.142),
धाव् (आ) (अधा व ) (p.146), पू (आ) (अप व ) (p.150),
बाध् (अबा ध ) (p.141), भाष् (अभा ष ) (p.141),
मल् (अमे ल ) (p. 151), मुद् (अमो द ) (p.142),
यत् (अय त ) (p.141), प्र+यत् (प्राय त ) (p.141),
याच् (आ) (अया च ) (p.147), राज् (आ) (अरा ज ) (p.147),
रुच् (अरो च ) (p.142), व ् (अव ) (p.141),
वृत् (अव तर् ) (p.141), वृध् (अव धर् ) (p.141),
शुभ् (अशो भ ) (p.142), सह् (अस ह ) (p.141),
सेव् (असे व ) (p.141)
धातुरूपपिरचयः–२ । Dhāturūpaparicayaḥ–2 XLV