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पूवर्पी ठका
३. तृतीयः लुङ्-लकारः (लुङ्. आ. ३)
एकवचनम् वचनम् बहुवचनम्
प्रथमपुरुषः साताम् सत
म मपुरुषः ाः साथाम् म्
उ मपुरुषः स ह ह
ृ
े
क (आ) (अकत) (p.157), क्र (आ) (अक्र ) (p.152),
ृ
े
व+क्र (आ) ( क्र ) (p.152), क्षप् (आ) (अ क्ष ) (p.156),
च (आ) (अचे ) (p.152), छद् (आ) (अ ) (p.171),
परा+ ज (पराजे ) (p.152), दा (आ) (अ दत) (p.172),
आ+दा (आ) (आ दत) (p.172), ध (आ) (अधृत) (p.153),
ृ
नी (आ) (अने ) (p.152), आ+नी (आ) (आने ) (p.152),
पच् (आ) (अप ) (p.155), भज् (आ) (अभ ) (p.155),
भद् (आ) (अ भ ) (p.170), मन् (अमं ) (p.143),
मुच् (आ) (अमु ) (p.168), व+मुच् (आ) ( मु ) (p.168),
मृ (अमृत) (p.145), युध् (अयु ) (p.144), रम् (अर ) (p.143),
ं
लभ् (अल ) (p.143), वह् (आ) (अवोढ) (p.154),
वद् (अ व ) (p.144), सच् (अ स ) (p.169),
अ भ+ सच् (अ ष ) (p.169) हृ (आ) (अहृत) (p.153),
प्र+हृ (आ) (प्राहृत) (p.153), आ+हृ (आ) (आहृत) (p.153),
सम्+हृ (आ) (समहृत) (p.153), व+हृ (आ) ( हृत) (p.153),
पिर+हृ (आ) (पयर्हृत) (p.153),
XLIV धातुरूपपिरचयः–२ । Dhāturūpaparicayaḥ–2